राजस्थान में राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्य जीव अभयारण्य (National Parks and Wildlife sanctuaries in Rajasthan)
Table of Contents
- केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित किया गया पशु-पक्षियों का स्थल राष्ट्रीय उद्यान कहलाता है, जबकि राज्य सरकार द्वारा स्थापित किया गया स्थल अभयारण्य कहलाता है।
- राजस्थान में राष्ट्रीय उद्यान 3 व 26 अभयारण्य हैं।
राजस्थान में राष्ट्रीय उद्यान (National Parks in Rajasthan)
1. रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान-
- सवाईमाधोपुर जिले में स्थित इस अभयारण्य को 1 नवंबर,1980 को राजस्थान में प्रथम राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया गया।
- इस उद्यान को1974 में बाघ परियोजना के अंतर्गत चयनित किया गया।
- यह देश की सबसे कम क्षेत्रफल वाली बाघ परियोजना है।
- यह उद्यान अरावली तथा विंध्याचल पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य 392 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
- राष्ट्रीय स्मारक घोषित रणथंभौर दूर्ग इस उद्यान में स्थित है।
- इस उद्यान में बाघ, बघेरा, चीतल, सांभर, नीलगाय, रीछ, जरख एवं चिंकारा पाए जाते हैं।
- धौंक वृक्ष तथा ढाक वनस्पतियां इस उद्यान में पाई जाती है।
- आरक्षित क्षेत्र घोषित हो जाने पर रणथंभौर बाघ परियोजना को रामगढ़ (बूंदी) अभयारण्य से जोड़ दिया गया है।
- रणथंभौर उद्यान क्षेत्र में पदम तालाब, राजबाग, मलिक तालाब, गिलाई सागर, मानसरोवर एवं लाभपुर झीलें स्थित है।
2. केवलादेव (घना) राष्ट्रीय उद्यान-
- एशिया में पक्षियों की सबसे बड़ी प्रणयस्थली, पक्षी प्रेमियों का तीर्थ, हिम पक्षियों का शीत बसेरा, पक्षियों का स्वर्ग आदि नामों से प्रसिद्ध यह उद्यान भारत के प्रमुख पर्यटन परिपथ ‘सुनहरा त्रिकोण’ (दिल्ली-आगरा-जयपुर) पर स्थित है।
- 1981 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
- सन् 1985 में 29 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैले इस उद्यान को यूनेस्को द्वारा विश्व प्राकृतिक धरोहर की सूची में शामिल किया गया।
- यहां कामन क्रेन, दुर्लभ साइबेरियन सारस, गीज, पोयार्ड, लेपबिंग, बेगर्टल एवं रोजी पोलीकन नामक पक्षी पाए जाते हैं।
3. मुकन्दरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान-
- 9 जनवरी, 2012 को इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
- यह कोटा व चितौड़गढ़ में 199.55 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
राजस्थान के वन्अय जीव अभयारण्य (Sanctuaries in Rajasthan)
1. सरिस्का वन्य जीव अभयारण्य-
- बाघ परियोजना हेतु 1978-79 में संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया।
- यह राजस्थान की दूसरी बाघ परियोजना है जो दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर अलवर जिले में अरावली पर्वत माला से घिरा है।
- इस अभयारण्य में शेर व बाघों के अलावा सांभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा, चौसिंगा, स्याहगोश, जंगली सूअर आदि वन्य जीव पाए जाते हैं।
- इस अभयारण्य में नीलकंठ महादेव का मंदिर, लोकदेवता भर्तृहरि की तपोस्थली, पाण्डुपोल, हनुमान मंदिर एवं राजस्थान पर्यटन विकास निगम की होटल टाइगर डेन स्थित है।
- यह अभयारण्य हरे कबूतरों के लिए प्रसिद्ध है।
2. राष्ट्रीय मरू उद्यान-
- यह क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा अभ्यारण्य है।
- मरूस्थल में प्राकृतिक वनस्पति को सुरक्षित रखने, वन्य प्राणियों को संरक्षण प्रदान करने और करोड़ों वर्षों से पृथ्वी के गर्भ में दबे हुए जीवाश्म को संरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से 8 मई, 1981 को राष्ट्रीय मरू उद्यान की स्थापना की गई।
- यह अभयारण्य जैसलमेर व बाड़मेर जिले के तीन हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
- यहां राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण (ग्रेट इंडियन वस्टर्ड) पाया जाता है।
- इस अभयारण्य में प्रकृति के अद्भुत करिश्में के रूप में लाखों वर्ष पूर्व के सागरीय जीवन के 25 वुड फासिल विद्यमान हैं।
- भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत पूर्ण संरक्षण प्राप्त राज्य पक्षी गोडावण इस अभयारण्य में स्वच्छंद निवास करता है।
- आकलवुड फासिल पार्क इस अभयारण्य में स्थित है।
3. दर्रा वन्य जीव अभयारण्य-
- यह अभयारण्य कोटा से 50 किलोमीटर दक्षिण में विंध्याचल पर्वत श्रृंखला में मुकन्दरा अथवा दर्रा की पहाड़ियों में विस्तृत है।
- यहां सांभर, चीतल, नीलगाय, हिरण और जंगली सूअर पाए जाते हैं।
- इस अभयारण्य के निकट गागरोन का किला, रांवठा महल, दर्रा के महत्वपूर्ण बाडोली के मन्दिर, अबली मीणी का महल एवं मन्दिरगढ़ के मन्दिर स्थित है।
- यह अभयारण्य गागरोनी अथवा हीरामन तोतों के लिए प्रसिद्ध है।
4. कुम्भलगढ़ वन्य जीव अभयारण्य-
- यह अभयारण्य अरावली पर्वत श्रृंखला के दक्षिणी भाग में उदयपुर, राजसमंद व पाली जिलों में फैला हुआ है।
- इस अभयारण्य का क्षेत्रफल लगभग 586 वर्ग किमी. है।
- यह अभयारण्य रीछ, भेड़ियों, जंगली सूअर व जंगली मुर्गों के लिए प्रसिद्ध हैं।
- इस अभयारण्य में चौसिंगा भी पाया जाता है, जिसे स्थानीय भाषा में घंटेल कहा जाता है। यह ऐसा हिरण है जिसके नर के चार सींग होते हैं, यह केवल भारत में ही पाया जाता है।
- इस अभयारण्य के सृजन का मुख्य उद्देश्य भेड़ियों का संरक्षण करना था।
- बनास नदी का उद्गम स्थल यही अभ्यारण्य है।
5. जयसमंद वन्य जीव अभयारण्य-
- इस अभयारण्य की स्थापना 1957 में की गई।
- यह अभयारण्य उदयपुर से लगभग 52 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में जयसमंद झील क्षेत्र में वन्य जीवों की सुरक्षा हेतु स्थापित किया गया।
- इस अभयारण्य में लकड़बग्घा, बघेरा, सियार, चीतल, चिंकारा, जंगली सूअर एवं नीलगाय पाए जाते हैं।
6. वनविहार अभयारण्य आगरा-
- यह अभयारण्य आगरा-धौलपुर-मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग पर 25.6 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
- इस पर्वतीय अभयारण्य में सांभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा एवं मोर आदि वन्य जीव पाए जाते हैं।
7. सीतामाता अभयारण्य-
- यह अभयारण्य प्रतापगढ़, चितौड़गढ़ व उदयपुर जिले में 423 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
- राज्य सरकार ने सीतामाता धर्मस्थली के चारों तरफ सघन वन क्षेत्र के पारिस्थितिक, वानस्पतिक एवं वन्य जीवों के महत्व को देखते हुए सन् 1979 में इसे अभयारण्य घोषित किया गया।
- आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित इस अभयारण्य में एन्टीलोप प्रजाति का दुर्लभ प्राणी चौसिंगा एवं उड़न गिलहरीयां पाई जाती हैं।
- यह अभयारण्य क्षेत्र सागवान-बांस मिश्रित वनों की देश में उत्तर-पश्चिमी सीमा है।
8. नाहरगढ़ जैविक अभयारण्य-
- यह अभयारण्य जयपुर-दिल्ली राजमार्ग पर आमेर (जयपुर) के पास स्थित है।
- इस जैविक अभयारण्य का मुख्य उद्देश्य वन्य जीवों का संरक्षण, वन्य जीवन संबंधी शिक्षा एवं शोध कार्य है।
- यह अभयारण्य मुख्य रूप से चिंकारों के लिए प्रसिद्ध है।
- यह राज्य का प्रथम जैविक अभयारण्य है।
- यहां काले हिरण, जंगली भेड़िए,स्याहगोश आदि वन्य जीव मिलते हैं।
- यह अभयारण्य नाहरगढ़ दुर्ग के पास स्थित है
9. जमवा रामगढ़ वन्य जीव अभयारण्य-
- यह वन्य जीव अभयारण्य जयपुर जिले में जमवारामगढ़ के पास लगभग 300 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
- इस अभयारण्य में चिंकारा, नीलगाय, चीतल, लंगूर, मोर आदि वन्य जीव पाए जाते हैं।
10. रामगढ़ विषधारी अभयारण्य-
- बूंदी जिले में स्थित यह अभयारण्य 252.79 वर्ग किमी. में फैला हुआ है।
- यहां धौकड़ा वृक्ष मुख्य रूप से पाए जाते हैं।
- बाघ परियोजना क्षेत्रों के अलावा राजस्थान में यह एकमात्र ऐसा अभयारण्य है जहां राष्ट्रीय पशु बाघ विचरण करते हैं।
- इस अभयारण्य को रणथंभौर के बाघों का जच्चा केन्द्र कहा जाता है।
11. राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य-
- घड़ियालों की सुरक्षा के लिए कोटा जिले में चम्बल नदी पर तीन राज्यों राजस्थान, उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश द्वारा इस संयुक्त अभयारण्य की स्थापना सन् 1978 में की गई।
12. गजनेर वन्य जीव अभयारण्य-
- बीकानेर जिले में स्थित यह अभयारण्य पशु-पक्षियों की शरणस्थली है।
- यह अभयारण्य बटसड़ पक्षी (इंपीरियल सेंडगाउज) के लिए विश्व प्रसिद्ध है।इसको रेत का तीतर भी कहते हैं।
13. फुलवारी की नाल अभयारण्य-
- उदयपुर के पश्चिम में 160 किलोमीटर की दूरी पर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित इस अभयारण्य की पहाड़ी से मानसी वाकल नदी का उद्गम होता है।
- इस अभयारण्य में बाघ, बघेरा, चीतल, सांभर आदि वन्य जीव पाए जाते हैं।
14. भैंसरोड़गढ़ अभयारण्य (चितौड़गढ़)-
- चितौड़गढ़-रावतभाटा मार्ग पर स्थित इस अभयारण्य की स्थापना 5 फरवरी, 1983 को की गई।
- यह अभयारण्य घड़ियालों के लिए प्रसिद्ध है।
- यह अभयारण्य एक लम्बी पट्टी के रूप में चम्बल एवं ब्राह्मणी नदियों के साथ फैला हुआ है।
15. बस्सी अभयारण्य-
- चितौड़गढ़ से 22 किलोमीटर दूर बस्सी कस्बे से सटे इस वन क्षेत्र को 1988 में अभयारण्य घोषित किया गया।
- यह अभयारण्य जंगली बाघों के लिए प्रसिद्ध है।
- यहां बघेरा, सियार, जरख, भेड़िया, मगरमच्छ, कछुए तथा उदबिलाव पाए जाते हैं।
16. सज्जनगढ़ अभयारण्य-
- उदयपुर रियासत के आखेट स्थल के लगभग 5.2 वर्ग किमी. वन क्षेत्र को सन् 1987 में अभयारण्य घोषित किया गया।
- इस अभयारण्य में सांभर, चीतल, चिंकारा, नीलगाय, जंगली सूअर आदि वन्य जीव पाए जाते हैं।
17. शेरगढ़ अभयारण्य-
- सन् 1983 में घोषित यह अभयारण्य बारां जिले में 98 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
- इस अभयारण्य में सांभर, बघेरा, जरख, रीछ, लोमड़ी, चीतल आदि वन्य जीव पाए जाते हैं।
- यह अभयारण्य सांपों का संरक्षण स्थल है
18. बंध बरेठा-
- भरतपुर जिले स्थित यह अभयारण्य सन् 1985 में घोषित किया गया।
- यह अभयारण्य पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है।
19. रावली टाडगढ़ अभयारण्य-
- अजमेर, पाली तथा राजसमंद जिलों में स्थित यह अभयारण्य 1983 में घोषित किया गया।
- यह अभयारण्य 495 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
- इस अभयारण्य में बघेरा, रीछ, जरख, नीलगाय, गीदड़ आदि वन्य जीव पाए जाते हैं।
20. केलादेवी अभयारण्य-
- करौली जिले में स्थित सन् 1983 में घोषित यह अभयारण्य 676 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
- इस अभयारण्य में बघेरा, रीछ, जरख, सांभर एवं चीतल पाए जाते हैं।
21. तालछापर अभयारण्य-
- चुरू जिले की सुजानगढ़ तहसील में स्थित यह अभयारण्य काले हिरणों व प्रवासी पक्षी कुरजाँ की शरणस्थली है।
- वर्षा के मौसम में इस अभयारण्य में मोथा घास (मोचिया साइप्रस रोटन्डस) उगती है।
22. मचिया सफारी पार्क-
- जोधपुर जिले में स्थित इस अभयारण्य में चिंकारा, काले हिरण, नीलगाय आदि वन्य जीव पाए जाते हैं।
- यह देश का प्रथम वानस्पतिक उद्यान है जहां प्राकृतिक वनस्पतियों को संरक्षण प्रदान किया जाता है।
23. मांउट आबू अभयारण्य-
- राजस्थान सरकार ने 1960 में सिरोही जिले में स्थित आबू पर्वत श्रृंखला के 112.98 वर्ग किमी. क्षेत्र को अभयारण्य घोषित किया गया।
- इस अभयारण्य में जंगली मुर्गे एवं डिकिल्पटेरा आबूएन्सिस नामक पादप (विश्व में केवल आबू पर्वत पर ही) पाया जाता है।
- स्ट्रोबिलेन्थस कैलोसस जिसे स्थानीय भाषा में कारा कहा जाता है, यहाँ पैदा होता है।
राजस्थान के शिकार प्रतिबंधित क्षेत्र
राजस्थान सरकार ने वन्य जीव (सुरक्षा) अधिनियम, 1972 की धारा 37 के अंतर्गत ऐसे समस्त क्षेत्रों में विचरण करने वाले वन्य प्राणियों की सुरक्षा और संवर्धन हेतु आखेट निषिद्ध क्षेत्र एवं उनकी सीमाएं घोषित की है।
प्रमुख आखेट निषिद्ध क्षेत्र निम्न हैं-
- डोली- जोधपुर
- गुढा बिश्नोई- जोधपुर
- फीटकाशनी- जोधपुर
- ढेंचू(देचू)- जोधपुर
- सांथीन- जोधपुर
- जम्भेश्वर जी- जोधपुर
- खेजड़ली- जोधपुर
- सौंखलिया- अजमेर
- गंगवाना- अजमेर
- टिलोरा- अजमेर
- मुकाम- बीकानेर
- दीयात्रा- बीकानेर
- देशनोक- बीकानेर
- जोडवीर- बीकानेर
- बज्जू- बीकानेर
- बर्डोद- अलवर
- जौड़िया- अलवर
- संथाल- जयपुर
- महलां- जयपुर
- बागीदोरा- बांसवाड़ा
- धोरीमन्ना- बाड़मेर
- जारोड़ा- नागौर
- रोटू- नागौर
- जवाई बांध- पाली
- कंवाल जी- सवाई माधोपुर
- सोरसन- बारां
- उज्जला- जैसलमेर
- रामदेवरा- जैसलमेर
- रानीपुरा- टोंक
- मैनाल- चितौड़गढ़
- कनक सागर- बूंदी
- सांचौर- जालौर
- सांवतसर-कोटसर – बीकानेर
राजस्थान में राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्य जीव अभयारण्य (National Parks and Wildlife sanctuaries in Rajasthan)